आम चने की छोड़िये कीजिये काबुली चने की उन्नत किस्मे (वैरायटी) की खेती, देती है 25 से 30 क्विंटल प्रति तक हेक्टेयर उपज
काबुली चने की उन्नत किस्मे ( वैरायटी )
श्वेता: काबुली चने की इस किस्म को जल्द पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. जिसे आई सी सी व्ही 2 के नाम से भी जानते हैं. इसके दाने मध्य मोटाई वाले आकर्षक दिखाई देते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 85 से 90 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल के बीच पाया जाता है. काबुली चने की इस किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर आसानी से उगाया जा सकता है. इसके दाने छोले के रूप में अधिक स्वादिष्ट होते हैं.
मेक्सीकन बोल्ड: चने की ये एक विदेशी किस्म है, जिसके पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधों को असिंचित भूमि में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 90 से 100 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. इसके दाने आकार में मोटे दिखाई देते हैं. जिनका रंग बोल्ड सफेद और चमकदार पाया जाता है. जो काफी आकर्षक दिखाई देते हैं. इसके दानो का बाजार भाव काफी अच्छा मिलता है. इसके पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 35 क्विंटल के बीच पाया जाता है. लेकिन फसल की देखभाल अच्छे से की जाए तो पौधों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इसके पौधों पर कीट रोग का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.
हरियाणा काबुली न. 1: चने की इस किस्म को मध्यम समय में अधिक पैदावार देने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. काबुली चने की इस किस्म को बारानी भूमि को छोड़कर लगभग सभी तरह की भूमि में उगा सकते हैं. इसके पौधे अधिक शखाओं युक्त फैले हुए होते हैं. इसके दानो का आकार सामान्य और रंग गुलाबी सफ़ेद होता है. इसके पौधों में उकठा रोग काफी कम देखने को मिलता है.
काक 2: चना की ये एक मध्यम समय में पककर तैयार होने वाली किस्म हैं. इसके पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिन पर उकठा रोग देखने को नही मिलता. इसके पौधे रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दाने सामान्य मोटाई और हल्के गुलाबी रंग के पाए जाते हैं.
एच. के. न. 2: काबुली चने की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 क्विंटल के बीच पाया जाता है. जिसे हरियाणा के आसपास के राज्यों में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे कम ऊंचाई और सीधे बढ़ने वाले होते हैं. जिसकी पत्तियों का रंग हल्का हरा दिखाई देता है.
जे.जी.के 1: काबुली चने की की इस किस्म को मध्य प्रदेश में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन के बीच पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 18 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो का रंग हल्का सफ़ेद या क्रमी सफेद पाया जाता है. इस किस्म के पौधे सामान्य लम्बाई के और कम फैलने वाले होते हैं. इसके पौधों पर पत्तियां बड़े आकार वाली और फूल सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं.
जे.जी.के 2: काबुली चने की इस किस्म के पौधे कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 100 से 110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसका इस्तेमाल छोले के रूप में भी किया जाता है. इस किस्म के पौधे कम फैलाव वाले पाए जाते हैं. जिसकी पतियों का आकार बड़ा और फूलों का रंग सफेद होता है. इसके दाने सामान्य आकार और हल्के सफेद रंग के पाए जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल तक पाया जाता है.
एस आर 10: चने की इस किस्म को राजस्थान में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि में उगाये जा सकते हैं. इस किस्म के पौधे असिंचित जगहों पर रोपाई के के दौरान लगभग 140 दिन के आसपास पककर तैयार होते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के रोग देखने को नही मिलते.
पूसा 1003: डॉलर चने की इस किस्म को उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता है. जिसके पौधे रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 22 क्विंटल तक पाया जाता है. इसके दाने मध्यम बड़े आकार के पाए जाते है. इसके पौधे उकठा रोग के प्रति सहिष्णु होते हैं.

